गुजराती साहित्य के विद्वान कवि नर्मद की जन्मजयंती पर शहर में मौजूद उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई
 
                                
कवि नर्मद गुजराती साहित्य के विद्वान कवि एवं महान वक्ता थे। उन्होने ही १८८० के दशक में सबसे पहले हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा था। आपको बता दे कि गुजराती में नवीन चेतना के प्रथम कालखंड को 'नर्मद युग' कहा जाता है। उनकी प्रतिभा भी सर्वतोमुखी थी। उन्होंने गुजराती साहित्य को गद्य, पद्य सभी दिशाओं में समृद्धि प्रदान की, किंतु काव्य के क्षेत्र में उनका स्थान विशेष है। ऐसे कवि नर्मद की आज जन्मजयंती है और इस मौके पर वदोड़रा महानगर सेवासदन की ओर से उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करने के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शहर के L & T सर्कल पर मौजूद कवि नर्मद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी जन्मजयंती के मौके पर उन्हें याद किया गया। इस मौके पर शहर के स्थायी समिति के चेयरमैन डॉक्टर हितेन्द्र पटेल , डेप्यूटी मेयर नंदा जोशी , डेप्युटी कमिश्नर सुधीर पटेल समेत कई नगरसेवकों की उपस्थिति भी रही।
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