Beating Retreat ceremony के इतिहास को आप जानते है? नहीं तो ये ख़बर ज़रूर पढ़े

Beating  Retreat ceremony के इतिहास को आप जानते है? नहीं तो ये ख़बर ज़रूर पढ़े

  • हर वर्ष 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह होता है।  
  • रिट्रीट सेरेमनी सेना की वापसी का प्रतीक मानी जाती है।
  • इस में राष्ट्रपति सेनाओं को बैरकों में लौटने की इजाज़त देते है. इसी के साथ गणतंत्र समारोह की पूर्णाहुति होती है.
  • भारत में 1950 के दशक में इसकी शुरुआत हुई थी।  
  • समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथी होते है. जिन्हें राष्ट्रीय  सैल्यूट दिया जाता है।
  • इसके बाद राष्ट्रगान जन-गण-मन गाया जाता है.
  • तीनों सेनाओं के बैंड एकसाथ पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं।
  • मार्च के बाद  रिट्रीट का बिगुल वादन होता है।
  • बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास बैंड वापस ले जाने की अनुमति लेते हैं।
  • इसी के साथ 26 जनवरी का समारोह पूरा होता है और बैंड मार्च वापस जाते हुए 'सारे जहां से अच्छा' की धुन बजाते हैं।

 इतिहास क्या कहता है?

  • बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी  तब से ही चली आ रही है जब सूर्यास्त के बाद जंग बंद हो जाती थी।
  • जैसे ही बिगुल बजाने वाले पीछे हटने की धुन बजाते थे, वैसे ही लड़ाई बंद हो जाती थी और सैनिक युद्ध भूमि से पीछे हट जाते थे। 
  • माना जाता है की 17वीं सदी में इंग्लैंड में इसकी शुरुआत इसे शुरू किया गया.
  • इतिहासकरो के मुताबिक़ जेम्स II ने दिन ढलते ही जंग खत्म होन के बाद अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा झुकाने और परेड करने का आदेश दिया था। उस वक्त इसे  वॉच सेटिंग कहा जाता था।
  • बीटिंग रिट्रीट की परंपरा ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में है।
  • भारत में 1952 में पहलीबार बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ था। जिसमें दो कार्यक्रम हुए थे, पहला j दिल्ली में रीगल मैदान के सामने मैदान में हुआ था और दूसरा लालकिले में।