भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल सफल | जींद-सोनीपत रूट से होगी शुरुआत
भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का सफल ट्रायल किया। पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित यह ट्रेन पर्यावरण के लिए वरदान है और जल्द ही जींद-सोनीपत रूट पर दौड़ सकती है। जानिए पूरी जानकारी।

भारत में हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल सफल! जल्दी ही इस रूट पर दौड़ेगी पहली पर्यावरण‑हितैषी ट्रेन
भारत की रेलवे टेक्नोलॉजी अब नई दिशा में बढ़ चुकी है! जी हां, अब भारत भी उन गिने-चुने देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जहां हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें दौड़ेंगी। भारतीय रेलवे ने हाल ही में देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का सफल ट्रायल किया है – और वो भी पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित।
ट्रायल कहां और कैसे हुआ?
इस ऐतिहासिक ट्रायल को अंजाम दिया गया चेन्नई की इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में। रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद इस बारे में जानकारी दी और इसे भारत के रेलवे इतिहास का नया अध्याय बताया।
रेलवे अब एक 1200 हॉर्सपावर वाली हाइड्रोजन ट्रेन पर भी काम कर रहा है। इस तकनीक से भारत अब जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और चीन जैसे देशों की बराबरी में खड़ा हो गया है।
सबसे पहले कहां चलेगी ये ट्रेन?
रेलवे ने इस ट्रेन का ट्रायल हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट (89 किमी) पर किया है।
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ट्रेन की गति 110 किमी प्रति घंटा होगी।
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इसमें 8 कोच होंगे और दोनों सिरे पर हाइड्रोजन फ्यूल पॉवर्ड इंजन होंगे।
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पहली ट्रेन की डिलीवरी 31 अगस्त तक हो सकती है।
इस पूरे प्रोजेक्ट का अनुमानित खर्च ₹111.83 करोड़ बताया गया है।
पर्यावरण के लिए वरदान
हाइड्रोजन ट्रेनें ना तो धुआं छोड़ती हैं, ना ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसें।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक के ज़रिए ये ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक रिएक्शन से बिजली बनाती है। इससे केवल पानी और भाप बायप्रोडक्ट्स के रूप में निकलते हैं — मतलब एकदम शून्य प्रदूषण!
हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज योजना
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 2023 में राज्यसभा में बताया था कि भारत सरकार "Hydrogen for Heritage" योजना के तहत पहाड़ी और हेरिटेज रूट्स पर 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना पर काम कर रही है।
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एक ट्रेन पर खर्च: ₹80 करोड़
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ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर: ₹70 करोड़
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कुल बजट: ₹2800 करोड़