युद्धविराम के बाद गुजरात की सियासत में नई हलचल, भाजपा और कांग्रेस में बढ़ी संगठनात्मक गतिविधियां
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर युद्धविराम के बाद गुजरात की राजनीति में भी नई सुगबुगाहट देखी जा रही है। राज्य की प्रमुख दोनों पार्टियाँ – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस – अब संगठन को लेकर फिर से सक्रिय होती नजर आ रही हैं। दोनों दलों के मुख्यालयों में चहल-पहल बढ़ गई है और सियासी रणनीति को लेकर अंदरखाने बैठकों का दौर तेज़ हो गया है।

अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर युद्धविराम के बाद गुजरात की राजनीति में भी नई सुगबुगाहट देखी जा रही है। राज्य की प्रमुख दोनों पार्टियाँ – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस – अब संगठन को लेकर फिर से सक्रिय होती नजर आ रही हैं। दोनों दलों के मुख्यालयों में चहल-पहल बढ़ गई है और सियासी रणनीति को लेकर अंदरखाने बैठकों का दौर तेज़ हो गया है।
भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन की तैयारी
गुजरात भाजपा में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। सूत्रों के अनुसार पार्टी इस पर गंभीरता से मंथन कर रही है और अगले एक सप्ताह के भीतर इसका निर्णय लिया जा सकता है। यह भी खबर है कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस सिलसिले में गंभीर चर्चा शुरू कर दी है। कभी भी भाजपा के वरिष्ठ नेता और गुजरात के संगठन प्रभारी भूपेंद्र यादव का गुजरात दौरा तय हो सकता है। वे संभावित नामों पर अंतिम राय बनाने के लिए अहमदाबाद आ सकते हैं।
गौरतलब है कि गुजरात जैसे महत्वपूर्ण राज्य में संगठनात्मक नेतृत्व का बहुत बड़ा असर लोकसभा चुनावों और आगामी विधानसभा चुनावों पर पड़ता है। इसलिए पार्टी एक ऐसा चेहरा चाहती है जो राज्य में संगठन को नई दिशा दे सके और कार्यकर्ताओं में जोश भर सके।
कांग्रेस भी संगठन को लेकर सतर्क, दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू
दूसरी ओर, कांग्रेस भी संगठनात्मक मजबूती की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है। AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस समिति) के वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली में विभिन्न राज्यों के प्रभारियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। गुजरात को लेकर भी रणनीति तैयार की जा रही है। खासकर जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन को मज़बूत करने के लिए ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर मंथन जारी है।
सूत्रों की मानें तो गुजरात कांग्रेस प्रभारी और अन्य वरिष्ठ नेता दिल्ली में लगातार बैठकें कर रहे हैं ताकि नए चेहरे संगठन में लाए जा सकें। इस बार पार्टी जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्व देने के मूड में है, जिससे कार्यकर्ता और नेतृत्व के बीच बेहतर तालमेल बन सके।
भाजपा और कांग्रेस कार्यालयों में बढ़ी चहल-पहल
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हालिया युद्धविराम ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता का संकेत दिया है, जिसका सीधा असर राज्यों की राजनीति पर भी देखा जा रहा है। गुजरात में अब एक बार फिर राजनीतिक दल अपने-अपने संगठनों को सक्रिय कर चुनावी मोड में आने की तैयारी में लग गए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही राज्य कार्यालयों में नेताओं, कार्यकर्ताओं और रणनीतिकारों की आवाजाही बढ़ गई है।
अगले चुनावों की तैयारी की ओर बढ़ता गुजरात
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह गतिविधियां आगामी चुनावों की तैयारी के तौर पर देखी जा रही हैं। चाहे वह लोकसभा चुनाव हों या फिर आगामी निकाय चुनाव, दोनों दल संगठन को सशक्त कर जमीनी स्तर पर पकड़ मज़बूत करने की रणनीति अपना रहे हैं।
गुजरात जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य में संगठनात्मक बदलाव और रणनीति हमेशा अहम माने जाते हैं। ऐसे में अगले कुछ हफ्ते गुजरात की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।